Ghazipur News: बोरान एवं जिंक के संतुलित प्रयोग से उड़द की प्रोटीन प्रतिशतता एवं मृदा स्वास्थ्य बेहतर- बृजेश कुमार पाण्डेय
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पत्रकार राहुल पटेल
गाजीपुर। पी० जी० कालेज गाजीपुर में पूर्व शोध प्रबन्ध प्रस्तुत संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी महाविद्याल के अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ तथा विभागीय शोध समिति के तत्वावधान में महाविद्यालय के सेमिनार हाल में सम्पन्न हुई, जिसमें महाविद्यालय के प्राध्यापक, शोधार्थी व छात्र- छात्राएं उपस्थित रही। उक्त संगोष्ठी में कृषि संकाय के कृषि रसायन एवं मृदा विज्ञान विषय के शोधार्थी बृजेश कुमार पाण्डेय ने अपने शोध प्रबंध शीर्षक “उड़द उत्पादन एवं मृदा उर्वरता में बोरान एवं जिंक का प्रभाव” नामक विषय पर शोध प्रबन्ध व उसकी विषय वस्तु प्रस्तुत करते हुए कहा कि मृदा उर्वरता के लिए बोरान और जिंक आवश्यक एवं महत्वपूर्ण सूक्ष्म पौषक तत्व है, मृदा में इनकी कमी होने पर पौधों में कई प्रकार के रोग हो जाते है। ये मृदा के पी.एच. मान, विद्युत चालकता को स्थिर रखता है तथा थोक घनत्व को कम करके मृदाकणों के घनत्व को बढ़ा देता है जिससे भौतिक रूप से मृदा उर्वरता में बढ़ोतरी होती है। ये पोषक तत्व मृदा में कार्बनिक पदार्थ, उपलब्ध नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटैशियम, बोरान एवं जिंक की सान्द्रता को भी बढ़ा देते हैं। वस्तुतः बोरान और जिंक के संतुलित उपयोग से हम दलहनी फसलों से ऐच्छिक एवं गुणवक्त्तायुक्त उत्पादन प्राप्त कर सकते है और मृदा स्वाथ्य को भी सुधार सकते है। देश के अधिकांश भागों में दलहनी फसलों के उत्पादन के लिए मुख्य रूप से प्राथमिक पोषक तत्वों जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस एवं पोटैशियम का ही उपयोग किया जाता है, जिसके फलस्वरूप ऐच्छिक गुणवक्त्तायुक्त उपज प्राप्त नहीं हो पाती है। दलहनी फसल उड़द में बोरान 2 किलो एवं जिंक 4 किलो प्रति हेक्टेयर के दर से उपयोग करने से पौधों की लम्बाई, पत्तियों की संख्या, शाखाओ की संख्या में वृद्धि पायी जाती है। इसके अलावा इन पौधों में ज्यादा फलीयां एवं फलियों में दानों की संख्या में भी वृद्धि हुई है, बोरोन एवं जिंक के उपयोग से इनके दिनों में प्रोटीन की प्रतिशतता भी बढ़ी हुई मिली है। प्रस्तुतिकरण के बाद विभागीय शोध समिति, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ व प्राध्यापकों तथा शोध छात्र-छात्राओं द्वारा शोध पर विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे गए जिनका शोधार्थी बृजेश कुमार पाण्डेय ने संतुष्टिपूर्ण एवं उचित उत्तर दिया। तत्पश्चात समिति एवं महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने शोध प्रबंध को विश्वविद्यालय में जमा करने की संस्तुति प्रदान किया। इस संगोष्ठी में महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफे० (डॉ०) राघवेन्द्र कुमार पाण्डेय, अनुसंधान एवं विकास प्रकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह , मुख्य नियंता प्रोफेसर (डॉ०) एस० डी० सिंह परिहार, शोध निर्देशक एवं कृषि रसायन एवं मृदा विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफे० (डॉ०) अवधेश कुमार सिंह, प्रोफे० (डॉ०) अरुण कुमार यादव, डॉ० रामदुलारे, डॉ० कृष्ण कुमार पटेल, डॉ० अमरजीत सिंह, डॉ० सुधीर कुमार सिंह, प्रोफे० (डॉ०)सत्येंद्र नाथ सिंह, डॉ० हरेंद्र सिंह, डॉ० रविशेखर सिंह, डॉ० योगेश कुमार, डॉ०शिवशंकर यादव एवं महाविद्यालय के प्राध्यापकगण तथा शोध छात्र छात्रएं आदि उपस्थित रहे। अंत में अनुसंधान एवं विकास प्रोकोष्ठ के संयोजक प्रोफे० (डॉ०) जी० सिंह ने सभी का आभार व्यक्त किया।
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