अपर जनपद न्यायाधीश/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण चंदौली ने जिला कारागार वाराणसी एवं राजकीय संप्रेक्षण गृह(किशोर)रामनगर का किया निरीक्षण
बैरक में चंदौली के निरुद्ध पुरुष एवं महिला बंदियों का जाना हाल एवं दिए आवश्यक दिशा निर्देश
चंदौली
माननीय सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली, राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली तथा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश के अनुपालन में गुरूवार को अपर जनपद न्यायाधीश/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण चन्दौली श्री ज्ञान प्रकाश शुक्ल द्वारा जिला कारागार वाराणसी एवं राजकीय संप्रेक्षण गृह (किशोर) रामनगर का निरीक्षण किया गया, जिसमें जेल अधीक्षक डा. उमेश सिंह, जेलर बी०के० त्रिवेदी तथा सहायक अधीक्षक बाल संप्रेक्षण गृह उपस्थित रहे। पूर्णकालिक सचिव महोदय ने बैरक, पाठशाला व महिला बैरक का निरीक्षण किया। बैरकों में उपस्थित चंदौली के पुरुष व महिला बंदियों से उनके स्वास्थ्य, खान-पान रहन-सहन के बारे में जानकारी ली। महिला बैरक में महिला प्रशिक्षण केन्द्र का निरीक्षण किया गया उपस्थित महिला बंदियों के बच्चों के पढ़ाई व खाने पीने की व्यवस्था के बारे में जानकारी ली।
सचिव महोदय ने अस्पताल का निरीक्षण किया जिसमें सी०एम०ओ० चन्दौली द्वारा शिविर लगवा कर बंदियों का स्वाथ्य परीक्षण कराया जा रहा था, सचिव महोदय ने डॉक्टर्स को निर्देश दिये कि सभी
मरीज बंदियों को समय से दवाइयां दी जाए तथा इसमें कोई कमी नहीं होनी चाहिए। पाकशाला में भोजन के गुणवत्ता व स्वच्छता पर ध्यान देने के निर्देश दिये गए।जेल में निरूद्ध महिला बन्दियों की समस्याओं के बारे में भी जाना तथा उनके साथ रह रहे बच्चों के शिक्षा की भी जानकारी ली। बंदियों को फ्री लीगल एडवाइज के बारे में जानकारियां दी। उन्होंने जेल अधीक्षक को निर्देश दिया कि कानूनी सहायता लेने के इच्छुक बंदियों की सूची जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को उपलब्ध करायें ताकि ऐसे लोगो को कानूनी सहायता दी जा सके।
इसी क्रम में सचिव महोदय द्वारा राजकीय संप्रेक्षण गृह रामनगर का निरीक्षण किया गया, जहां पर किशोर बंदियों को टिटनेस के टीके लगाए जा रहे थे। वर्तमान में जनपद चन्दौली के कुल 17 किशोर बंदी निरूद्ध हैं। सचिव महोदय द्वारा किशोर बन्दियों से उनकी समस्याओं के बारे में पूछने पर किशोर बंदियों द्वारा बताया गया कि उन्हें किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं है। सचिव महोदय ने किशोरों को पढ़ने के लिए जागरूक किया तथा प्रशिक्षण केन्द्र का निरीक्षण किया। उन्होने सहायक अधीक्षक बाल संप्रेक्षण गृह को निर्देश दिया कि कानूनी सहायता लेने के इच्छुक किसी भी किशोर बंदी के अभिभावक द्वारा निशुल्क अधिवक्ता की मांग जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यालय से किया जा सकता है।