The News Point : BJP विधायक रामदुलार गोंड को नाबालिग से मामले 25 साल की सजा, 10 लाख जुर्माना…
The news point : सोनभद्र से BJP विधायक रामदुलार गोंड को नाबालिग से रेप में 25 साल की सजा सुनाई है. MP/MLA कोर्ट ने विधायक पर 10 लाख का जुर्माना लगाया है. यह रकम पीड़ित को दी जाएगी. दुद्धी विधानसभा सीट से विधायक रामदुलार सजा कम करने के लिए कोर्ट के सामने गिड़गिड़ाया. कहा कि बच्चों की पढ़ाई चल रही है, इसलिए कम सजा दी जाए.
मंगलवार को 9 साल पुराने नाबालिग से रेप में कोर्ट ने विधायक को दोषी करार दिया था. विधायक को पॉक्सो, 376 और 201 धारा के तहत दोषी माना था. सजा के बाद अब BJP विधायक की विधायकी जाना तय है. सरकारी वकील सत्यप्रकाश तिवारी ने सजा और जुर्माने की पुष्टि की है. इससे पहले शुक्रवार को कड़ी सुरक्षा के बीच जेल से कोर्ट लाया गया.
नाबालिग से रेप की यह एफआईआर 4 नवंबर 2014 को दर्ज हुई थी. रासपहरी थाने के म्योरपुर गांव में नाबालिग लड़की से रामदुलार गोंड ने रेप किया था. पीड़ित पक्ष के वकील विकास शाक्य के मुताबिक, पीड़ित ने अपने बयान में बताया था कि रामदुलार उसके साथ करीब एक साल से रेप कर रहा था. उसने 6 बार उसके साथ जबरदस्ती की.
4 नवंबर को भी जब पीड़ित अपने खेत जा रही थी. उस वक्त रामदुलार ने उसके साथ दरिंदगी करनी चाही. लेकिन पीड़ित ने हिम्मत दिखाई और उसके चंगुल से छूट कर अपने भाई के पास पहुंच गई. भाई को पूरा मामला बताया. भाई ने म्योरपुर थाने में FIR दर्ज कराई थी.
पीड़ित ने अपने स्टेटमेंट में बताया कि वह (रामदुलार) पूरे परिवार को जान से मारने की धमकी देता था. इसलिए वह दरिंदगी सहती रही. पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट में उसके गर्भवती होने की पुष्टि हुई थी. पीड़िता की एक बच्ची है, यह बच्ची रेप के बाद गर्भवती होने से हुई है. पुलिस ने रामदुलार पर पॉक्सो और रेप का केस दर्ज किया था. जांच के दौरान पुलिस को पर्याप्त सबूत मिल गए. इसी आधार पर पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल हुई थी.
9 साल में पहले जब विधायक पर रेप का आरोप तब लगा था, जब वह प्रधानपति थे यानी उनकी पत्नी गांव की प्रधान थी. उस दौरान रामदुलार की गिरफ्तारी हुई, लेकिन वह जमानत पर बाहर आ गया. पहले मामला पॉक्सो कोर्ट में था. 2022 में विधायक बनने के बाद यह मामला MP/MLA कोर्ट में शिफ्ट हो गया था.
वकील विकास शाक्य बताते हैं, “पहले यह मामला पॉक्सो कोर्ट में था. जमानत के बाद कोर्ट ने कई बार रामदुलार को तलब किया. लेकिन वह सुनवाई के दौरान कोर्ट में नहीं आता था. यही कारण रहा कि मामला इतना लंबा खिंचा. 300 से ज्यादा बार तारीख लगी, सुनवाई हुई.
पीड़िता के भाई ने यह भी आरोप लगाया था कि विधायक बनने के बाद रामदुलार ने 40 लाख रुपए की पेशकश की थी. रामदुलार गोंड बयान बदलवाने और केस वापस लेने का दबाव बना रहा था. यहां तक कि बहन की ससुराल जाकर समझौते के लिए धमकी दी. वकील ने बताया कि विधायक बनने के बाद अपने पद का दुरुपयोग करते हुए रामदुलार ने पीड़ित के डॉक्यूमेंट में छेड़छाड़ की. एक प्राइवेट स्कूल से पीड़िता की फेक मार्कशीट बनवा दी. इसमें उसकी डेट ऑफ बर्थ में हेरफेर की गई. ताकि यह दिखाया जा सके कि पीड़िता बालिग है, और वह पॉक्सो से बच सके. लेकिन कोर्ट ने उसे स्वीकार नहीं किया.