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विदेशों में योग का प्रकाश फैला रहे चन्दौली के योगी शिव

चकिया/चन्दौली

            प्राचीन भारतीय विद्वानों के हजारों साल की रिसर्च के बाद मानवता के लिए अमृत के समान योग का आविष्कार हुआ इसके लाभ से पूरा विश्व परिचित हो चुका है। पूरे विश्व में योग के प्रसार में चंदौली जिला का योगदान भी जुड़ गया है चंदौली ज़िले के चकिया बाजार निवासी जवाहर जायसवाल के पुत्र शिव जायसवाल द्वारा थाईलैंड सिंगापुर वियतनाम में योग सिखाने के बाद इस समय इंडोनेशिया में योग सिखाया जा रहा है।चकिया के गवर्नमेंट इंटर कॉलेज के बाद  वाराणसी की काशी विद्यापीठ यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन के बाद देव संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार से योग की शिक्षा पूरी कर 20 वर्ष की उम्र में घर छोड़कर योग के प्रसार में जुट गए।

https://youtu.be/tMDz2ZLh17o?si=OUNAGhQX4Q4Tlga_

       इस मामले में जब शिव जायसवाल से बातचीत की गयी तो उन्होंने बताया कि मैंने अपनी 12वीं की शिक्षा आदित्य नारायण राजकीय इंटर कॉलेज (जीआईसी) चकिया से पूरी की…जब मैं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय वाराणसी से बीए स्नातक कर रहा था…मुझे यथार्थ गीता मिली।  इस ग्रंथ को पढ़ने के बाद, मैंने अपनी शिक्षा, अपना घर और अपना छोटा सा व्यवसाय छोड़ दिया। मैं लगभग 20 वर्ष का था…सबसे पहले मैं इस आश्रम में इन सभी शास्त्रों के बारे में समझने के लिए खुद को समर्पित करने गया, लेकिन उन्होंने मुझे स्वीकार नहीं किया। फिर मैं ऋषिकेश  शिवनंद सरस्वती आश्रम चला गया। कुछ महीने मैंने वहां एक स्वयंसेवक के रूप में काम किया और बहुत सी चीजें सीखीं, मेरा जीवन वहीं से शुरू हुआ। मैंने भारत में अलग-अलग आध्यात्मिक संगठनों में स्वयंसेवक के रूप में सात साल काम किया।

2018 में मैंने हरिद्वार से योगा कोर्स किया। 2019 मैंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर योग सिखाना शुरू किया। मेरे आदर्श स्वामी अड़गड़ानंद जी महाराज हैं। इस प्रकार चंदौली जनपद के एक छोटे से नगर चकिया से उठकर शिव जायसवाल संपूर्ण विश्व को भारत के अति प्राचीन पूरी तरह वैज्ञानिक पद्धति पर आधारित योग का प्रसार प्रचार करने में अपना जीवन समर्पित कर दिया है। अपने इस कठिन जीवन यात्रा में शिव जायसवाल ने योग को निरोग रहने का सबसे अहम माध्यम समझा और लोगों को समझाने का वीणा उठाया क्योंकि यह हर किसी के लिए सम्भव है। शिव चाहते हैं की पूरी दुनिया योग के प्रति इस दृष्टिकोण को अपनाए जिस प्रकार प्राचीन भारतीय पद्धतियों में वर्णित है।

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