सीता राम विवाह में झूमे बौरी के श्रोता
चन्दौली/बबुरी
A.K. चौबे
जनपद चंदौली स्थित बबुरी थान क्षेत्र के बौरी गांव में चल रहे नव दिवसीय कथा के पांचवें दिन कथा वाचिका साध्वी अनीता भारती ने सीता राम विवाह प्रसंग सुना कर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। कथावाचिका ने कहा कि समाज की समस्या ही धनुष है , धनुष अहंकार का प्रतीक है । इसलिए उसे तोड़ना बहुत जरूरी था । दुष्ट राजा धनुष को तोड़ने का असफल प्रयास करते हैं लेकिन समस्या का समाधान ईश्वर की अनुकंपा से ही होता है।
उन्होंने बताया कि प्रभु श्रीराम ने धनुष को खंड-खंड कर दिया। वही धमक सुनकर उसी समय मंडप में परशुराम का प्रवेश होता है, जो क्रोध से आगबबूला होकर फरसे से श्रीराम का वध करना चाहते हैं, लेकिन उनका हाथ स्थिर हो जाता है। लक्ष्मण कहते हैं कि आपने श्रीराम को नहीं पहचाना लेकिन आपके फरसे ने तो पहचान लिया। शस्त्र ने पहचान लिया शास्त्र ने नहीं पहचाना। परशुराम ने भगवान श्रीराम की परीक्षा के लिए उनके धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाने के लिए कहा तो विष्णु का धनुष स्वयं श्रीराम के चरणों में आ गया।
इसके बाद परशुराम तपस्या के लिए प्रस्थान कर जाते हैं और राजा जनक विवाह की लगन पत्रिका राजा दशरथ के पास भेजते हैं। राजा दशरथ बरात लेकर जनकपुर के लिए प्रस्थान करते हैं। इस प्रसंग में कथावाचिक ने कहा कि पूरी रामकथा ही सेतुबंध है जो दो परिवारों, दो राज्यों तथा दो संस्कृतियों को जोड़ती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को इसका सदुपयोग करना चाहिए और राम नाम का जप करते हुए अपने लोक व परलोक को सुधारना चाहिए। कलियुग में मनुष्य का सबसे बड़ा सहारा राम नाम ही है। प्रवचन के दौरान साध्वी ने कहा कि हमें अपने दाम्पत्य जीवन में गंभीर होना चाहिए। पति-पत्नी, भाई- बहन, भाई-भाई का प्रेम, पिता-पुत्र, सास-बहु सभी को अपनी मर्यादा में रहना चाहिए। रामायण हमें मर्यादा सिखाती है। इस अवसर पर वीरेंद्र सिंह, हरिवंश सिंह , बड़ेलाल जेई, धनंजय सिंह, सोहन बिंद ,प्रभु नाथ सिंह आशीष सिंह, हनु सिंह ,हर्ष सिंह ,ओम जी, रवि सिंह ,राजन गुप्ता ,मनोज सेठ सहित सैकड़ो श्रोतागण उपस्थित रहे।